विराम चिह्नों के प्रकार (Type of Punctuation marks) -
मुख्य विराम चिह्न हैं -
(१) पूर्णविराम [।] (Full stop) – वाक्य की समाप्ति के पश्चात लगाया जाता है।
जैसे– मैं विद्यालय में पढ़ाता हूँ।
(२) अल्पविराम [,] (Comma)– जहाँ कहीं कम समय रुकना हो वहाँ प्रयोग किया जाता है।
जैसे– मुझे पुस्तक, स्लेट, कलम और बस्ता खरीदना है।
(३) अर्द्धविराम [;] (Semicolon) – इसका प्रयोग अल्पविराम से अधिक एवं पूर्णविराम से कम समय के लिए रुकने हेतु किया जाता है। विशेष तौर से इसका प्रयोग दो समान उपवाक्यों को अलग करने के लिए किया जाता है।
जैसे– कभी सुख तो कभी दुख; कभी हर्ष तो कभी विषाद जीवन में आते रहते हैं।
(४) प्रश्नवाचक चिह्न [?] (Question mark) - जिस वाक्य में प्रश्न किया गया हो उसके अंत में लगाया जाता है।
जैसे– आप कहाँ जा रहे हैं?
(५) विश्मयादिबोधक या विश्मयसूचक चिह्न [!] (Mark of exclamation) – हर्ष, विषाद, शोक, आश्चर्य आदि स्थितियों में इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे– वाह ! अच्छा किया।
(६) योजक चिह्न [-] (hypen) – दो या दो से अधिक शब्दों में संबंध प्रकट करने या उन्हें मिलाने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे– माता-पिता, दिन-रात।
(७) उद्धरण या अवतरण चिह्न ["...." एवं '....'] (Inverted commas) – यह दो तरह के होते हैं इकहरे एवं दोहरे। इनका प्रयोग किसी के उपनाम या शीर्षक को लिखने के लिए किया जाता है या फिर किसी की कही गई बातों को ज्यों का त्यों लिखना हो तो इस चिह्न के भीतर लिखा जाता है।
जैसे– सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'। गुरूजी बोले - "अब हम अगला पाठ पढ़ेंगे।"
(८) विवरण सूचक चिह्न [:–] (Sign of following) – जब किसी विषय को अलग से समझाने के लिए उदाहरण दिया जाता है तब इसका प्रयोग होता है।
जैसे– भारत में केंद्र शासित प्रदेश निम्नलिखित है :–
(९) अपूर्ण विराम [:] (Colon) – इस चिन्ह का प्रयोग निर्देशक की भाँति किया जाता है। प्रायः इसका प्रयोग शीर्षकों में अधिक होता है।
जैसे– विज्ञान : वरदान या अभिशाप। निम्नलिखित पद्यांश की व्याख्या करें :
(१०) निर्देशक चिह्न [–] (Sign of direction) – इस चिन्ह का प्रयोग आगे जानकारी का विवरण देने के लिए किया जाता है।
जैसे– शास्त्री जी का कहना था – जय जवान, जय किसान।
(११) लाघव या संक्षेप चिह्न [○,•] (Sign of abbreviation) – इस चिह्न का प्रयोग किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए किया जाता है।
जैसे– डॉक्टर के डॉ• या प्रोफेसर के लिए प्रो•
(१२) हंसपद या त्रुटिपूर्णक चिह्न [^] (Caret) – इस चिह्न का प्रयोग लिखते-लिखते यदि कोई शब्द छूट जाए तो बीच में इस चिह्न को लगाकर ऊपर छूटा शब्द लिख दिया जाता है।
(१३) अनुवृत्ति या पुनरावृत्ति या पुनरुक्ति चिह्न [–,,–] (Ditto) - जहाँ कहीं नीचे के क्रम में एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति हो तो वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे–
श्रीमान हरिप्रसाद
–,,– योगेंद्र।
(१४) लोप चिह्न [......... या ×××××××] (Incompletion mark) – जहाँ कहीं अनुच्छेद या पद्यांश को संक्षिप्त करने की आवश्यकता हो वहाँ इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
जैसे– रहिमन पानी .............. मानुष चून।।
(१५) कोष्ठक चिह्न [【】, (), {}] (Bracket) – इनका प्रयोग किसी बात को कोष्टक में लिखने के लिए किया जाता है।
(१६) टिप्पणी सूचक चिह्न [*] (Note sign) – इस चिह्न का प्रयोग किसी लिखी गई बात पर अतिरिक्त टिप्पणी देने के लिए किया जाता है।
(१७) न्यूनता सूचक चिह्न [<] (Less than sign) – विशेषकर इस चिह्न का प्रयोग गणित में अधिक होता है। किंतु जहाँ कहीं हमें किसी बात को छोटा दर्शाने की आवश्यकता हो तो इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
(१८) परिणतिसूचक या बड़ासूचक चिह्न [>] (More than sign) – इस चिह्न का भी प्रयोग गणित में अधिक होता है। किंतु जहाँ कहीं हमें किसी बात को बड़ा दर्शाने की आवश्यकता हो तो इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
(१९) समानतासूचक चिह्न [=] (Sign of equal to) – इस चिन्ह का प्रयोग समानार्थी शब्दों या दो समान शब्दों को दर्शाने के लिए किया जा सकता है।
जैसे– नीर=पानी।
(२०)समाप्तिसूचक चिह्न [―○―] (Sign of the end) – जब कोई पाठ या अनुच्छेद समाप्त हो जाए उसके पश्चात अंत में इस चिन्ह का प्रयोग किया जाता है।
―○―
आर.एफ. टेमरे
शिक्षक
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
Thank you.
infosrf
R. F. Temre (Teacher)