वर्ण विचार—
प्रायः लोग ध्वनि, वर्ण और अक्षर का एक ही अर्थ ले लेते हैं, किन्तु व्याकरण-शास्त्र में इनके अर्थों में भेद बताया गया है। अ, आ, ई, ऊ आदि अथवा क, ख, ग आदि को जब हम मुँह से बोलते हैं, तो इन्हें ध्वनियाँ कहते हैं। इनका लिखित रूप वर्ण कहलाता है। वर्ण को ध्वनि-चिह्न भी कह सकते हैं। अंग्रेजी Calm और हिन्दी काम में हम ध्वनिगत अन्तर नहीं करते। दोनों में क और म ध्वनि सुनायी देती है। किन्तु लेखन में दोनों भाषाओं के चिह्न बिल्कुल अलग-अलग हैं। हम यह कह सकते हैं कि इनमें ध्वनि-भेद तो नहीं है किंतु वर्ण-भेद है। ध्वनि बोलने और सुनने में आती है, वर्ण देखने और लिखने-पढ़ने में आते हैं। इन वर्णों के पूरे समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी जिस वर्णमाला में लिखी जाती है, उसका नाम देवनागरी है।
जिस ध्वनि या ध्वनि-समूह का उच्चारण एक श्वासाघात में हो, उसे अक्षर कहते हैं, जैसे— क, ज, मा, मी, मू, उम्, मोम्, मेम् अक्षर हैं।
संक्षेप में कहें तो—
ध्वनि — जब अ, इ, उ, क, म, य बोले तब सुनाई देने वाली आवाज ध्वनि कहलाती है।
वर्ण — उक्त ध्वनि को जब संकेत चिह्नों के द्वारा दर्शा दिया जाये तो इन्हें वर्ण कहा जाता है।
अक्षर — जब किसी ध्वनि या ध्वनि समूह को एक श्वासाघात में उच्चारित किया जा सके तब उसे अक्षर कहते हैं। दूसरे अर्थ में जिस ध्वनि समूह का उच्चारण एक श्वास में कर रहे हों और उस उच्चारण के वक्त उस ध्वनि समूह का एक अलग लय में रूपान्तरण न हो सके, उसे अक्षर कहते हैं।
ध्वनियाँ और उच्चारण
ध्वनियों के दो प्रकार है — स्वर और व्यंजन। स्वर वे ध्वनियाॅं हैं जिनके उच्चारण में वायु फेफड़ों से निकलकर अबाध गति से बाहर निकल जाती है, अर्थात् जीभ या ओंठ कहीं स्पर्श नहीं करते और वायु से कहीं घर्षण नहीं होता। इन ध्वनियों के अतिरिक्त जो ध्वनियाँ हैं उन्हें व्यंजन कहते हैं, जिनके उच्चारण में बाहर आनेवाली वायु को किसी न किसी स्थान पर रुकावट पैदा होती है और रुकावट के हटने पर ही व्यंजन का उच्चारण होता है। बोलकर देखें— अ आ। मुँह में जीभ जरा भी नहीं हिलती है, मुँह खुला रहता है और वायु बिना बाधा के बाहर निकल जाती है। इसी तरह— इ ई उ ऊ ए ऐ ओ ओ का उच्चारण करके देखें। ये सभी स्वर हैं। अब प फ ब भ म बोलकर देखें। ओठ भींचकर हवा को पहले रोक लेते और फिर छोड़ देते हैं। इसी तरह क, च, ट, त श आदि को भी बोलकर देखिए, ये सभी व्यंजन हैं।
आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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R. F. Temre (Teacher)