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पंवारी शब्द -

अकूचा

हिंग्लिश वर्तनी- akucha
हिंदी अर्थ -

अकोचा

हिंग्लिश वर्तनी-

akocha

अंग्रेजी अर्थ -

hook

शब्द का प्रकार -

संज्ञा

लिंग-

पुल्लिङ्ग

वचन -

एकवचन

पंवारी वाक्य -

एन्अ आकोड़ी को अकूचा टूट गई से।

हिंदी वाक्य -

The hook of this akodi is broken.

English Sentence -

इस अकोड़ी का अकोचा टूट गया है।

"अकूचा" का विवरण

किसी वस्तु को टांगने या अलग करने अर्थात हटाने के लिए किसी धातु यथा लोहे आदि से बनाया गया तिरछा औजार जिसे किसी रस्सी या लकड़ी में फँसाकर कार्य किया जाता है। इसे पंवारी बोली में अकूचा हिन्दी भाषा में अकोचा और अंग्रेजी भाषा में hook कहा जाता है।

'अकूचा' शब्द से संबंधित पंवारी बोली के दोहे एवं उनका हिन्दी व अंग्रेजी अनुवाद -

चार अकूचा संग मा, सब मा रेशम डोर।
चंदन लकड़ी पारना, झूलत नंद किशोर।।
हिन्दी अनुवाद ― उक्त दोहे में कवि भगवान कृष्ण के झूले का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चार अकोचों में रेशम की डोरियाँ बँधी हुई है और ये डोरियाँ चंदन की लकड़ी से बने पालने में बँधी हुई हैं जिसमें भगवान कृष्ण झूला झूल रहे हैं।
अंग्रेजी अनुवाद ― In the above couplet, the poet describes the swing of Lord Krishna by saying that silk strings are tied to four hooks and these strings are tied to a cradle made of sandalwood in which Lord Krishna is swinging.

देह अकूचा साजरो, ओमा फॅंगसा पाँच।
पाँच तत्व को पूतरा, फुकट रही से नाच।।
हिन्दी अनुवाद ― कवि इस दोहे में मानव काया का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह शरीर एक प्रकार का अकोचा है जो श्वास रूपी डोर द्वारा ईश्वर से बँधा हुआ है। कवि आगे कहते हैं इस शरीर में पाँच तत्व (पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु) हैं और इन पाँचों तत्वों का यह पुतला रूपी शरीर व्यर्थ में ही स्वयं पर गर्व करता है। यहाँ कवि का आशय है कि मानव को व्यर्थ घमंड नहीं करना चाहिए बल्कि उसे ईश्वर को याद करते हुए जगत कल्याण के कार्य करना चाहिए।
अंग्रेजी अनुवाद ― Describing the human body in this couplet, the poet says that this body is a kind of hook which is tied to God by the string of breath. The poet further says that there are five elements (earth, sky, water, fire and air) in this body and this body made up of these five elements is proud of itself in vain. Here the poet means that man should not be proud in vain, rather he should remember God and work for the welfare of the world.

देह अकूचा राम को, ओमा पाहुन पाच।
देख-देख इतराय के, जीव रही से नाच।।
हिन्दी अनुवाद ― उक्त दोहे में कवि मानव देह की रचना एवं मनुष्य की फूहड़ता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि यह मानव शरीर राम का एक अकोचा है अर्थात ईश्वर ने एक डोर से बँधे अकोचे से मानव शरीर को बाँध रखा है जिसमें मेहमानों की भाँति पाँच तत्व – पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु निवास करते हैं। मनुष्य सब कुछ जानते हुए भी अपनी इस देह पर इतराते हुए व्यर्थ में नाच रहा है अर्थात बेकार के कार्यों में उलझा हुआ है, जबकि उसे ईश्वर अर्थात राम का नाम स्मरण करते हुए जगत कल्याण करना चाहिए।
अंग्रेजी अनुवाद ― In the above couplet, the poet describes the structure of the human body and the vulgarity of man and says that this human body is a hook of Ram, that is, God has tied the human body with a hook tied to a string in which five elements – earth, sky, water, fire and air reside like guests. Despite knowing everything, man is dancing in vain, strutting on his body, that is, he is entangled in useless tasks, whereas he should do the welfare of the world by remembering the name of Ram.

सौजन्य से― श्री लीलाधर हनवत (दोहा रचनाकार) उगली, सिवनी मध्यप्रदेश।
हिन्दी व अंग्रेजी अनुवादक – श्री आर. एफ. टेमरे मेहरा पिपरिया, सिवनी मध्यप्रदेश।



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