☆ भय गयो मांढो गाड़ खे, जामुन खखरा डाख।
हिवरो मांढो साजरो, या पोवारी साख।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि पंवार समाज में विवाह संस्कार हेतु हरा मंडप सजाने से संबंधित जानकारी देते हैं। कवि कहते हैं कि अब मंडप लगाकर हो चुका है इनमें जामुन की टहनियाँ डाल दीजिए। इस तरह का हरा मंडप हमारे पंवार समाज की शान है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet gives information about decorating the green mandap for marriage ceremonies in the Pawar community. The poet says that now the mandap has been set up, put jamun twigs in it. This kind of green mandap is the pride of our Pawar community.
☆ खखरा खखरा राख दे, कचरा काड़ी फेक।
फेर जरा सो खाय खे, खेत जाय खे देख।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि ने माँ-बेटे के संवाद का वर्णन किया है। माँ अपने बेटे से कहती है कि बेटे ! पेड़ों की टहनियों को रहने दो केवल जो कचरा फैला हुआ है उसे फेंक दो। इतना कार्य करके भोजन कर लो और फिर खेत में जाकर देख लो की कौन सा काम हो रहा है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet has described the conversation between mother and son. The mother says to her son, Son ! Leave the twigs of the trees, just throw away the garbage that is spread. After doing this much work, have your meal and then go to the field and see what work is going on.
सौजन्य से – श्री एल डी. हनवत (दोहा रचनाकार) उगली, सिवनी मध्यप्रदेश।
हिन्दी व अंग्रेजी अनुवादक – श्री आर. एफ. टेमरे मेहरा पिपरिया, सिवनी मध्यप्रदेश।