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पंवारी शब्द -

उभो, ऊभो, उभा, ऊभा, उभी, उभी

हिंग्लिश वर्तनी-

ubho, ubhi

हिंदी अर्थ -

खड़ा, खड़े, खड़ी

हिंग्लिश वर्तनी-

khada, khade, khadi

अंग्रेजी अर्थ -

erect, straight, standing upright

शब्द का प्रकार -

विशेषण

लिंग-

पुल्लिङ्ग - उभो

स्त्रीलिङ्ग - उभी

वचन -

एकवचन - उभो, उभी

बहुवचन - उभा

विलोम/विरुद्धार्थी -

पंवारी - बस्या, बसी (बैठे, बैठी)

पंवारी वाक्य -

कोन्अ जमानो ल ये झाड़ सड़क को जवर-जवर सीधा उभा सेत।

हिंदी वाक्य -

बहुत लम्बे समय ये ये पेड़ सड़क के किनारे किनारे सीधे खड़े हैं।

English Sentence -

These trees have been standing straight on the roadside for a very long time.

"उभो, ऊभो, उभा, ऊभा, उभी, उभी" का विवरण

जब कोई वस्तु किसी स्थान पर ऊर्ध्वाधर स्थिति में अवस्थित हो उसके लिए पंवारी बोली में उभो, उभा, उभी, हिंदी भाषा में खड़ा, खड़ी, खड़े एवं अंग्रेजी में erect, straight, standing upright शब्दों का प्रयोग करते हैं।

'उभो,ऊभो, उभा,ऊभा, उभी' शब्द से संबंधित पंवारी बोली के दोहे एवं उनका हिन्दी एवं अंग्रेजी में अनुवाद -

1. पंथी ऊभो पंथ पर, गठरी बांधिस पीठ ।
काल उभो से सामने, माया ऊभी ठीठ ।।

हिन्दी में भावार्थ ― उक्त दोहे में कवि जीवन की सच्चाई को उजागर करते हुए कहते हैं कि मानव पथिक के रूप में अपने जीवन रूपी पथ पर धन-दौलत रूपी गठरी अपने पीठ पर बाँधकर अर्थात धन का संग्रह करके जीवन पथ पर चल रहा है। वह नहीं जानता कि उसके सामने काल अर्थात मृत्यु खड़ी है तो दूसरी ओर माया हठी बनकर खड़ी है।

अंग्रेजी में भावार्थ ― In the above couplet, the poet reveals the truth of life and says that man is walking on the path of his life as a traveller, tying a bundle of wealth on his back, that is, collecting wealth. He does not know that Kaal, that is, death, is standing in front of him and on the other side, Maya is standing stubbornly.

2. जीव आइ से दूर लक, जानो से बहु दूर ।
उभी बीच मा आय खै, मौत रही से घूर ।।

हिन्दी में भावार्थ ― उक्त दोहे में कवि प्राणी मात्र के जीवन की सच्चाई का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जीव बहुत दूर (स्वर्ग या नर्क) से यात्रा करके इस पृथ्वी पर जन्म लेकर आया है। जीव को लगता है कि अभी उसकी जीवन यात्रा बहुत लंबी है, किंतु वह यह नहीं जानता कि जीवन के मध्य मृत्यु खड़ी होकर उसे घूर रही है।

अंग्रेजी में भावार्थ ―  In the above couplet, the poet describes the truth of life of every creature and says that the creature has come to this earth after travelling from a very far distance (heaven or hell). The creature feels that his life journey is still very long, but he does not know that death is standing in the middle of life and staring at him.

3. ऊभा चहुँ दिस सूरमा, हाथ धरिन हथियार ।
चार दिवस की जिंदगी, राम भजन आधार ।।

हिन्दी में भावार्थ ― उक्त दोहे में कवि कहते हैं कि हमारे चारों ओर काम क्रोध मद लोभ आदि सूरमा अपने अपने हथियार लेकर खड़े हैं जो हरपल हमें कमजोर कर रहे हैं, हम पर प्रहार करने उद्यत हैं| जबकि हमारी जिंदगी चार दिन अर्थात अल्प है, ऐसी दशा में प्रभु श्री राम का सुमरन ही हमारा जीवन आधार हो सकता है।

अंग्रेजी में भावार्थ ― In this couplet, the poet says that all around us, warriors like lust, anger, pride, greed etc. are standing with their weapons, who are weakening us every moment and are ready to attack us. Whereas our life is only four days, that is, short. In such a situation, remembering Lord Shri Ram can be the basis of our life.

दोहा रचनाकार ― श्री लीलाधर हनवत उगली, जिला - सिवनी
हिंदी एवं अंग्रेजी अनुवादक― आर. एफ. टेम्भरे मेहरा पिपरिया जिला - सिवनी



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