☆ बेटा मोरो अकलवर, ताकतवर से देह।
निरमल ओको चित्त से, सबको ओला नेह।।
हिन्दी अनुवाद ― कवि के द्वारा इस दोहे में एक माँ का अपने बेटे की प्रशंसा में कहे गए शब्दों को उदृत किया गया है। माँ कहती है कि मेरा बेटा बहुत बुद्धिमान है साथ ही उसका शरीर बलिष्ठ अर्थात ताकतवर है। उसका मन निर्मल है इसीलिए वह सभी को प्रिय है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet has quoted the words of a mother in praise of her son. The mother says that my son is very intelligent and his body is strong i.e. powerful. His mind is pure and that is why he is loved by everyone.
☆ अकलवर ला शान नहीं, भारी ओको ज्ञान।
रत्ती भर अभिमान नहीं, सबकी से पहिचान।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि के द्वारा बुद्धिमान इंसान की पहचान के संबंध में महत्वपूर्ण बात कही गई है। कवि कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति अपनी शान शौकत कभी नहीं दिखाता। उसे बहुत अधिक ज्ञान होता है फिर भी इसका थोड़ा सा भी अभिमान नहीं रहता। बुद्धिमान व्यक्ति की यही पहचान है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet has said something important about the identity of a wise person. The poet says that a wise person never shows off his pomp and glory. He has a lot of knowledge but still he is not proud of it. This is the identity of a wise person.
☆ घूम रही से अकलवर, ढूँढ रही से काम।
अनपढ़ ला से चाकरी, खेती ओकी धाम।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि पढ़े-लिखे बुद्धिमान व्यक्ति एवं अनपढ़ के बीच व्यवसाय को लेकर अंतर स्पष्ट किया गया है। कवि कहते हैं कि बुद्धिमान व्यक्ति काम की तलाश में यहाँ-वहाँ घूम रहा है जबकि अनपढ़ व्यक्ति के पास काम की कमी नहीं है क्योंकि खेती ही उसका सब कुछ अर्थात चारों धाम है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet has clarified the difference between an educated intelligent person and an illiterate person in terms of occupation. The poet says that an intelligent person is roaming here and there in search of work while an illiterate person has no dearth of work because farming is his everything i.e. his four dhamas.
सौजन्य से― श्री लीलाधर हनवत (दोहा रचनाकार) उगली, सिवनी मध्यप्रदेश।
हिन्दी व अंग्रेजी अनुवादक – श्री आर. एफ. टेमरे मेहरा पिपरिया, सिवनी मध्यप्रदेश।