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निर्बाध
वू वहाँच् जायके अटक जासे।
वह वहाँ जाकर ही रुक जाता है।
He just stops there.
किसी कार्य, व्यक्ति या वस्तु का कहीं पर चलते-चलते या कार्य करते-करते स्थिर हो जाने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब ऐसी स्थिति के लिए पंवारी बोली एवं हिंदी भाषा में अटक एवं अंग्रेजी में stop, stuck या obstacle शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
1. कथड़ी सीवन मी बसी, होती आंगन घाम ।
सूजी मोरी टुट गयी, अटक गयो सब काम ।।
हिन्दी में भावार्थ ― उक्त दोहे में कवि एक महिला की स्थिति का वर्णन करते हुए कहते हैं कि महिला कह रही है कि मैं गुदड़ी सिलने के लिए आंगन में बैठी थी जहाँ धूप खिली हुई थी। उसी समय सुई टूट गई और गुदड़ी सिलने का सारा कार्य अटक (रुक) गया।
अंग्रेजी में भावार्थ ― In the above couplet, the poet describes the situation of a woman and says that the woman is saying that I was sitting in the courtyard to sew a blanket (gudari) where the sun was shining. At that very moment the needle broke and the entire work of sewing the blanket (gudari) stopped.
2. घर जाय के अटक गयो, भई महातनि बेर ।
मी खेत मा का करहुं, होय रही से देर ।।
हिन्दी में भावार्थ ― उक्त दोहे में कवि ने एक किसान के मन की व्यथा को उजागर किया है। किसान कहता है कि मैं खेत से घर जाकर अटक गया और दोपहर से भी अधिक का समय हो गया। अब मैं खेत पर जाकर क्या करूंगा क्योंकि देरी हो रही है।
अंग्रेजी में भावार्थ ― In the above couplet, the poet has revealed the agony of a farmer. The farmer says that I got stuck on my way home from the farm and it is already past noon. What will I do now by going to the farm as I am getting late.
दोहा रचनाकार ― श्री लीलाधर हनवत उगली, जिला - सिवनी
हिंदी एवं अंग्रेजी अनुवादक― आर. एफ. टेम्भरे मेहरा पिपरिया जिला - सिवनी
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