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पुल्लिङ्ग
एकवचन
हिन्दी भाववाचक शब्द - आह, एह
बेटा ! अ ल अः तक बरन सुनाय त दे जरा।
अः अः करके नोको त कुल्हरो भला।
बेटे जरा अ से अः तक वर्ण तो सुना दो।
अः अः करके मत तो कराहइये।
Dear, please tell me the alphabets from A to Ah.
Do not groan by saying ah ah.
Do not moan by ah ah.
देवनागरी वर्णमाला के स्वर वर्णों के पश्चात दो अयोगवाह वर्ण अनुस्वार और विसर्ग आते हैं। अयोगवाह का अंतिम वर्ण अः होता है जिसे विसर्ग वर्ण कहते हैं। इसके अलावा मानव के मुख से शारीरिक दुख या पीड़ा की स्थिति में निकलने वाली ध्वनि अः अः होती है।
☆ दुख भारी से जीव ला, फोड़ा मा से आग।
अः अः करीस रात भर, फीकी पड़ गयी फाग।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि एक व्यक्ति की शारीरिक पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इस प्राणी को बड़ा ही दुख है, फोड़े में आग जल रही है। रात भर अः अः कराहते हुए उसका फाल्गुन (होली) पर्व फीका पड़ गया है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet expresses the physical pain of a person and says that this person is in great pain, his boils are burning with fire. His Phalguna (Holi) festival has become dull as he moans with ah ah all night.
☆ तन मन मा तकलीफ से, से हीरद मा हाय।
अ: अ: अ: कर्राह खे, रोय रही से माय।।
हिन्दी अनुवाद ― कवि इस दोहे में एक माँ की शारीरिक पीड़ा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि माँ के तन और मन दोनों में काफी पीड़ा है और हृदय से हाय, हाय ही निकल रहा है। माँ अः अः अः करके कराह रही है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet describes the physical pain of a mother and says that the mother is in great pain both in her body and mind and her heart is crying out in pain. The mother is moaning ah ah ah.
सौजन्य से― श्री लीलाधर हनवत (दोहा रचनाकार) उगली, सिवनी मध्यप्रदेश
हिन्दी व अंग्रेजी अनुवादक – श्री आर. एफ. टेमरे मेहरा पिपरिया, सिवनी मध्यप्रदेश
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