☆ फुकट अकड़नो छोड़ दे, छोड़ सकल अभिमान।
झूठी तोरी गोसठी, झूठी तोरी शान।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि उस दंभित व्यक्ति को सलाह देते हैं जो व्यर्थ ही गर्व करता है। कवि कहते हैं कि हे मनुष्य! फालतू में अकड़ना अर्थात घमंड करना छोड़कर सारे अभिमान को अपने से दूर कर दो क्योंकि तेरी बातें झूठी हैं और जो तू शान दिखा रहा है वह भी झूठी ही है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet advises the arrogant person who is proud in vain. The poet says, O man! Stop being arrogant in vain and remove all pride from yourself because your words are false and the pride you are showing is also false.
☆ अता अकड़नो भूल कर, भजले सीताराम।
नहिं मरय्यो पर काम की, या मानुष की चाम।।
हिन्दी अनुवाद ― इस दोहे में कवि मानव जाति को सलाह देते हुए कहते हैं कि हे मनुष्य! व्यर्थ अकड़ना छोड़कर अब भगवान का स्मरण करले अर्थात सीताराम नाम का भजन करले क्योंकि मरने के बाद तुम्हारी यह सुन्दर चमड़ी अर्थात देह किस काम की है।
अंग्रेजी अनुवाद ― In this couplet, the poet advises mankind and saying that O man! Leave your useless arrogance and remember God, that is, worship the name of Sita-Ram, because after death, what is the use of your beautiful skin, that is, your body.
सौजन्य से― श्री लीलाधर हनवत (दोहा रचनाकार) उगली, सिवनी मध्यप्रदेश।
हिन्दी व अंग्रेजी अनुवादक – श्री आर. एफ. टेमरे मेहरा पिपरिया, सिवनी मध्यप्रदेश।